रुड़की। एक माह पूरे होने को करीब है लेकिन वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर हमला करने के आरोपी फरार हैं। वन विभाग की ओर से मारपीट के मामले में छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था जिनमें से सिर्फ दो आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सका है। आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से वन कर्मियों का मनोबल गिर रहा है जबकि वन तस्करों के हौसले बुलंद हैं।
सरकारी संपत्ति की सुरक्षा करने वाले सरकारी कर्मचारी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। 19 मई को वन विभाग की खानपुर रेंज में ग्राम सिकरोडा में भूमि पैमाइश के दौरान वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर कुछ ग्रामीणों ने हमला कर दिया था। हमले में एक रेंजर सहित कई कर्मचारी घायल हो गए थे। वन विभाग की ओर से छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। घटना के बाद आक्रोशित वन कर्मियों ने आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया था। दबाव के चलते पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था बाकी चार घटना के 26 दिन बाद भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे वन कर्मी गश्त में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि एक माह के अंदर वन तस्करों ने दर्जनों खैर और शीशम के पेड़ों पर हाथ साफ कर दिया। वन तस्करों की सक्रियता के चलते वन्यजीवों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। मारपीट की घटना के कुछ ही दिन बाद कुछ लोगों ने सांभर का शिकार कर दिया था। जब वन अधिकारी शिकारियों को गिरफ्तार करने गए तो ग्रामीणों ने अधिकारियों को घेर कर शिकार करने वालों को छुड़ा लिया था। अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि इस तरह की घटनाओं के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से वन कर्मियों का मनोबल लगातर गिर रहा है।
वन कर्मचारियों पर हमले की घटनाएं उनका मनोबल गिरा रही हैं। उससे ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से वन कर्मियों के दिमाग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। फिलहाल घटना के दो आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने से कर्मचारियों पर कुछ सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
एसपी सिंह, कार्यकारी डीएफओ, हरिद्वार