लावारिस हैं समाज कल्याण के स्कूल

हल्द्वानी। राज्य सरकार समाज कल्याण विभाग की ओर से प्रदेश भर में एनजीओ संचालित स्कूलों पर लाखों रुपया खर्च कर रही है लेकिन सरकार ने एनजीओ के स्कूलों में अच्छा मैनेजमेंट देने और इनका निरीक्षण, पर्यवेक्षण करने के लिए आज तक कोई नीति नहीं बना सकी है। नीति न होने से एनजीओ स्कूल लावारिस हो गए हैं। सालभर में एक बार वेतन मिलने से टीचर भी पढ़ाने में रुचि नहीं लेते हैं। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि इन स्कूलों की असलियत न समाज कल्याण और न सरकार को पता है।
समाज कल्याण विभाग देहरादून, हरिद्वार, बागेश्वर, पिथौरागढ़, पौड़ी और ऊधमसिंह नगर जिले में 14 स्कूल एनजीओ द्वारा संचालित करवा रहा है। विभाग पांच एटीएस (राजकीय आश्रम पद्धति स्कूल) स्वयं संचालित कर रहा है। इसमें बेतालघाट एटीएस समाज कल्याण का नंबर वन एटीएस है। एटीएस तो ठीक चल रहे हैं लेकिन एनजीओ संचालित स्कूलों की स्थिति खराब है। ऐसे स्कूलों पर एक साल में करीब दो करोड़ से अधिक रुपये खर्च हो रहा है।
निदेशालय से एनजीओ स्कूलों की जानकारी मांगी गई तो निदेशालय के कर्मचारी इतना बता पाए कि 14 स्कूल संचालित हैं लेकिन कौन-सा स्कूल किस शहर में इसकी जानकारी तक नहीं है। इन स्कूलों को बंद करने की तैयारी हो गई थी, यहां तक सरकार ने इनका बजट भी रोक दिया था लेकिन इनमें कार्यरत अध्यापकों के आवाज उठाने के बाद एनजीओ स्कूल बंद करने के फैसले को रद्द कर दिया गया। सरकार ने इन स्कूलों का निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई। इसलिए एनजीओ स्कूल लावारिस हैं

– स्कूलों को एनजीओ चला रहे हैं, इनकी स्थिति के बारे में उन्हें कुछ दिन पूर्व ही जानकारी मिली है, नए सत्र में एनजीओ स्कूलों का निरीक्षण किया जाएगा।
ब्रह्म पाल सिंह सैनी, संयुक्त निदेशक (समाज कल्याण)

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