
शिमला। आईजीएमसी में मौत के बाद मरीज के शव को घर पहुंचाना आसान काम नहीं। यहां जरूरत मंदों के नाम पर खोली गई रेडक्रास संस्था खाना पूर्ति का काम कर रही है। संस्था के पास न समय पर एंबुलेंस मिलती है और न ही जरूरतमंदों को सहायता। अस्पताल प्रबंधन के पास भी डेडबाडी वैन नहीं है। पहले से ही दुखी परिवार को मजबूरी में अधिक पैसे देकर टैक्सी करनी पड़ती है। आज तक रेडक्रास एक शव वाहन नहीं दे पाया है।
भारतीय जनता युवा मोर्चा हिमाचल कार्यकारिणी सदस्य करन नंदा का कहना है कि यह संस्था एक काम में सबसे पीछे वाली श्रेणी में पाई गई है। रेडक्रास संस्था का मुख्य लक्ष्य समाज सेवा, मरीजों को अस्पताल भेजने के लिए एंबुलेंस मुहैया करवाना, रक्त दान, गरीबों की मदद करना रहता है। एंबुलेंस मरीजों को बीमार स्थिति में अस्पताल पहुंचा तो सकती है लेकिन अगर मृत्यु हो जाए तो वापसी पहुंचाने का कोई प्रावधान नहीं है।
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केस नंबर एक
7 फरवरी को बैनमोर वार्ड की रहने वाली कुलजा देवी की बर्फ में फिसलकर मौत हो गई। आईजीएमसी स्थित रेडक्रास कार्यालय में उनके संबंधी ने जब मृत शरीर को घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध करवाने की मांग की तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने साफ मना कर दिया। शव को ले जाने के लिए रेडक्रास के पास कोई वाहन उपलब्ध नहीं है। पीड़ित परिवार कहां जाए और किससे फरियाद करे।
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कर रहे हैं व्यवस्था : एमएस
आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डा. रमेश ने कहा कि अभी तक अस्पताल के पास डेडबाडी वैन की सुविधा नहीं है। इस बारे में जल्द कदम उठाए जा रहे हैं।