गोवा में चल रही भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के भीष्म पितामह लालकृष्ण आडवाणी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच चल रही जंग ने उप्र की सियासी तस्वीर पलट दी है। राजनीतिक जानकारों और पार्टी के रणनीतिकारों की मानें तो मोदी और आडवाणी की जंग का असर उप्र में भी दिखेगा और उप्र के प्रभारी अमित शाह की मुश्किलें बढ़ेंगी क्योंकि आडवाणी खेमा उनके अभियान पर पलीता लगाने से नहीं चूकेगा।
भाजपा के उप्र प्रभारी अमित शाह 12 जून को लखनऊ आ रहे हैं। ऐसा माना जा रहा था कि गोवा में चल रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उप्र को लेकर जो रणनीति बनाई जाएगी उससे वह यहां के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अवगत कराकर वर्ष 2014 में होने वाले आम चुनाव की रणनीति पर चर्चा करेंगे। लेकिन मोदी बनाम आडवाणी की जंग ने सारी तस्वीर पलट दी है। राजनाथ से खार खाए नेताओं की एक लम्बी फेहरिस्त पहले से ही है, लिहाजा मोदी और आडवाणी के बीच चल रही लड़ाई ने उन्हें बैठे बिठाए मौका दे दिया है।
राजनाथ ने अपनी टीम बनाते समय उप्र में वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर वरूण गांधी और उमा भारती के रूप में हिन्दुत्व छवि वाले नेताओं की एक टीम तैयार की थी और ऐसा माना जा रहा था कि यही टीम अमित शाह के साथ मिलकर काम करेगी। लेकिन मोदी बनाम आडवाणी विवाद के बाद इन नेताओं ने भी शाह से दूरी बनानी शुरू कर दी है।
राजनाथ ने नई टीम का ऐलान करते समय विनय कटियार, कलराज मिश्र और लालजी टंडन जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी भुला दिया था। इसके अलावा उप्र में हिन्दुत्व के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ और राज्य सभा सांसद कुसुम राय भी राजनाथ की टीम में जगह नहीं मिलने से खासे नाराज थे। नाराजगी की वजह से ही इनमें से कई नेता चित्रकूट में सम्पन्न हुई प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भी नहीं पहुंचे थे। अब इन नेताओं को मौका मिला है और इनके निशाने पर मोदी के चहेते अमित शाह आ गए हैं।
पार्टी की उप्र ईकाई के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, ”अमित शाह की साइकिल उप्र आने से पहले ही पंक्चर हो गई है। उप्र के नेताओं को सम्भालना शाह के वष की बात नहीं।” आडवाणी खेमे के अलावा राजनाथ से खार खाए नेता भी शाह के अभियान को पटरी से उतारने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
भाजपा के यह वरिष्ठ नेता कहते हैं, आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेता को दरकिनार किया जा रहा है और इसकी पटकथा काफी पहले से ही लिखी जा रही है। मोदी की उतनी हैसियत नही है कि वह आडवाणी को टेकओवर कर पाएं। समय आने दीजीए सबको अपनी ताकत का अंदाजा हो जाएगा। भाजपा के यह वरिष्ठ नेता तो यहां तक दावा करते हैं कि मोदी बनाम आडवाणी के बीच चल रही जंग की वजह से अमित शाह अपना लखनऊ दौरा आगे के लिए टाल सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषक रासिद खान कहते हैं कि शाह के आने से पहले मोदी बनाम आडवाणी की जंग भाजपा के लिए शुभ संकेत नही है। उप्र में आडवाणी खेमे के सक्रिय होने की वजह से शाह की मुश्किलों में और इजाफा होगा। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक हालांकि इससे इत्तेफाक नही रखते। पाठक ने कहा, मोदी और आडवाणी की जंग मीडिया की देन है। ऐसा कुछ नही है। रही बात अमित शाह के उप्र आने की तो वह 12 को आएंगे और पहले से तय बैठक में हिस्सा लेंगे।
पाठक ने बताया कि गोवा में चल रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उप्र को लेकर जो चीजें तय की जाएंगी उसी को लेकर 12 जून को बैठक होगी, जिसमें चुनावी रणनीति पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।