
हल्द्वानी। महिला डिग्री कालेज के खेलकूद मैदान में प्रशासन जबरन ओवरहैड टैंक का निर्माण कराने पर तुला है। इससे एक ओर जहां कालेज में छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित होगी वहीं कालेज में पीजी की कक्षाएं शुरू करने की स्वीकृति मिलने पर कमरे बनाने के लिए भूमि की समस्या पैदा होगी। इधर, कालेज के खेलकूद मैदान पर कब्जा करने की कोशिश से छात्राओं में आक्रोश बना हुआ है।
बता दें कि नवाबी रोड स्थित एमबीपीजी कालेज की भूमि पर प्रदेश के एक मात्र राजकीय महिला कालेज की स्थापना 15 वर्ष पूर्व की गई थी। महाविद्यालय में अभी स्नातक विषय ही चल रहे हैं तथा इसमें पीजी की कक्षाओं शीघ्र शुरू किए जाने की योजना भी है। लेकिन कालेज परिसर में खेलकूद मैदान की भूमि पर प्रशासन जबरन ओवर हैड टैंक का निर्माण कराने पर अड़ा हुआ है। महिला कालेज की भूमि का स्वामित्व एमबीपीजी कालेज के पास होने के चलते तत्कालीन प्राचार्य डा. बीएस बिष्ट ने पेयजल निगम को 20 मीटर गुणा 20 मीटर भूमि दो साल पूर्व ट्यूबवेल का निर्माण कराने को दे दी थी। शिक्षिकाओं और छात्राओं के विरोध के बावजूद ट्यूबवेल का निर्माण करा दिया गया। इधर, अब इसी कालेज के मैदान की भूमि पर ओवरहैड टैंक बनाने का प्रस्ताव है। पेयजल निगम को ओवरहैड टैंक बनाने के लिए भूमि देने से इंकार करने के बावजूद प्रशासन कब्जा कर ओवरहैड टैंक का निर्माण कराने की कोशिश में लगा है। प्रशासन के अधिकारी कालेज की भूमि का मौका मुआयना कर चयन भी कर चुके हैं। शिक्षिकाओं का तर्क है कि ओवरहैड टैंक बनने से कालेज के विस्तार की योजनाएं प्रभावित होंगी वहीं छात्राओं की सुरक्षा व्यवस्था की समस्या भी पैदा होगी। छात्राओं ने प्रशासन से कालेज के मैदान में ओवरहैड टैंक का निर्माण न कराने की मांग की है।
पीजी कक्षाएं होंगी प्रभावित: प्राचार्य
महाविद्यालय में पीजी कक्षाएं शुरू करने का प्रस्ताव शासन में विचाराधीन है। इसकी स्वीकृति मिलने पर कक्षाओं के लिए कक्ष बनाने को भूमि की जरूरत पड़ेगी, यदि कालेज के मैदान में ओवरहैड टैंक बनेगा तो पीजी के लिए कक्ष बनाने में समस्या आएगी। उन्होंने कहा कि स्नातक स्तर पर छात्राओं की मांग पर संगीत, चित्रकला, इतिहास, भूगोल नये विषय शुरू किए जाने का प्रस्ताव भी शासन में विचाराधीन है। इसके लिए भी महाविद्यालय को कमरों की आवश्यकता होगी। प्राचार्य का कहना है कि छात्राओं के हित को देखते हुए महाविद्यालय परिसर में ओवरहैड टैंक का निर्माण नहीं होना चाहिए, इससे शिक्षण कार्य भी प्रभावित होगा।
प्राचार्य डा. जीएस बिष्ट, महिला डिग्री कालेज