

वायरस समय के साथ आक्रामक हो रहा है और जांच के दायरे में ज्यादा आबादी को लाए जाने के साथ ही मरीजों की संख्या और मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की दुनियाभर के देशों की स्थिति (सिचुएशन) रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका, जर्मनी, चीन में जब संख्या औसतन भारत के बराबर यानी सात और आठ हजार के बीच था, तब मौतों की संख्या भारत की तुलना में बेहद कम थी।
अमेरिका, चीन और जर्मनी में मौत की दर भारत में कोरोना से हुई मौतों की दर से भी कम थी। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1.71 लाख लोगों की जांच के बाद 7447 मरीजों में वायरस की पुष्टि हुई है और 239 लोगों की मौत हो चुकी थी। वहीं अमेरिका में जब 7087 मरीजों में वायरस की पुष्टि हुई तब वहां 100 लोगों की मौत हुई थी।
जर्मनी दुनिया का एकमात्र देश है जहां 7,156 मरीजों में वायरस की पुष्टि पर सिर्फ 13 लोगों की मौत हुई। इसी तरह कोरोना का केंद्र रहे चीन में भी 7,736 मरीजों पर केवल 170 लोगों की मौत हुई थी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में दूसरे देशों की तुलना में हालात खराब हैं।
कोरोना से मृत्यु दर में भी भारत कई देशों से आगे.. जानिए कैसे

दस हजार का आंकड़ा पार तो बिगड़े हालात
कोरोना से बुरी तरह प्रभावित सभी देशों में स्थिति तब खराब हुई जब संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 10 हजार के पार पहुंचा। इसमें अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, इटली और स्पेन शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दस हजार का आंकड़ा पार होने के बाद वायरस यहां और आक्रामक दिखा और रोजाना औसतन 450 से 500 मरीजों में वायरस की पुष्टि हुई जबकि रोजाना होने वाली मौतों का आंकड़ा भी इससे अधिक था। इसी का नतीजा है कि अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, स्पेन और इटली में वायरस हाहाकार मचा रहा है जिसके आगे सब बेबस और लाचार हैं।
ब्रिटेन, स्पेन, इटली व बेल्जियम में बद्दतर हालात

9 देशों की सूची में भारत 5वें पायदान पर
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के नौ देश जहां सबसे पहले सात हजार मरीजों में वायरस की पुष्टि हुई और मौतों का ग्राफ बढ़ा, उसमें भारत पांचवें पायदान पर है। इस सूची में सबसे कम मौतों के आंकड़े के साथ जर्मनी पहले, अमेरिका दूसरे, चीन तीसरे और फ्रांस चौथे नंबर पर था।