सिरसा (हरियाणा)
नियमित प्राध्यापकों की सीनियरटी लिस्ट प्रभावित हो रही है। वहीं मर्ज करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में चल रही है। फाइल सीएम ऑफिस में है। वहीं नियमित प्राध्यापक बोले कि एकतरफा फैसला लिया तो लेंगे कोर्ट का सहारा और उतरेंगे सड़कों पर।
हरियाणा सरकार सोसायटी की ओर से संचालित बहुतकनीकी संस्थानों को तकनीकी शिक्षा विभाग में मर्ज करने की तैयारी कर रही है। फाइल अंतिम चरण में फिलहाल सीएम ऑफिस में विचाराधीन है। लेकिन इस फैसले के विरोध में सरकारी बहुतकनीकी संस्थानों में कार्यरत नियमित स्टाफ उतर आया है।
आरोप है कि सरकार ने एकतरफा फैसला लिया है और इससे न केवल नियमित कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची प्रभावित होगी बल्कि अन्य भी नुकसान होगा। इस संबंध में प्रदेश भर के टीचर्स की यूनियन की प्रदेश स्तरीय बैठक रविवार को सोनीपत में हुई। इसमें सरकार को सीधी चेतावनी दी है कि इस फैसले के विरोध में न्यायालय की शरण लेंगे और सड़कों पर भी उतरेंगे।
तकनीकी शिक्षा विभाग के तहत प्रदेश भर में बहुतकनीकी संस्थान संचालित हैं। इनमें 26 सरकारी बहुतकनीकि संस्थान हैं जबकि 11 सोसायटी के तहत संचालित किए जा रहे हैं। सरकारी संस्थान में भर्तियां सरकार नियमित कर्मचारियों की करती है जबकि सोसायटी अपने नियम और सुविधा अनुसार।
सरकारी संस्थानों में करीब 1200 शिक्षक और अन्य स्टाफ कार्यरत है जबकि सोसायटी के संस्थानों में करीब 450 शिक्षक हैं। बताया जा रहा है कि पिछले वर्ष सरकार ने एक फैसला लिया था। जिसके तहत प्रावधान किया गया कि सोसायटी की बहुतकनीकी संस्थानों को तकनीकी शिक्षा विभाग में मर्ज कर दिया जाए।
इससे सोसायटी के संस्थानों का पूरा स्टाफ सरकारी बन जाएगा। लेकिन इससे पहले से सरकारी संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों और अन्य स्टाफ की न केवल वरिष्ठता प्रभावित होगी बल्कि भविष्य के लिए भी परेशानियां पैदा होंगी। नियमित बहुतकनीकी संस्थानों के शिक्षकों की मांग है कि सोसायटी के स्टाफ को नियमित शिक्षकों की वरिष्ठता सूची में नीचे शामिल किया जाए। संवाद
सरकारी फैसले के खिलाफ सोनीपत में प्रदेश स्तरीय बैठक में मंथन
रविवार को सोनीपत में पॉलीटेक्निक टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन की प्रदेश स्तरीय बैठक हुई। इसमें प्रदेशाध्यक्ष कुनालजीत समेत प्रदेश भर से 100 से ज्यादा अध्यापकों ने भाग लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार गुपचुप तरीके से सोसायटी के संस्थानों को सरकारी में मर्ज करना चाहती है। इससे पहले से कार्यरत नियमित स्टाफ प्रभावित होगा।
यदि सोसायटी को सरकारी में लाना ही है तो उनकी मांग है कि उस स्टाफ को वरिष्ठता सूची में सबसे नीचे लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सोसायटी संस्थानों में करीब 40 टीचर सरप्लस हो गए हैं, उन्हें भी बचाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि इस संबंध में पिछले वर्ष विरोध जताया था तो एक कमेटी का गठन किया गया।
लेकिन सरकार अब एकतरफा फैसला लेने की तैयारी कर रही है। कुनालजीत ने सरकार को चेतावनी देते हुए बताया कि यदि ये फैसला हुआ तो न केवल न्यायालय का सहारा लेंगे बल्कि सड़कों पर भी आंदोलन करने के लिए उतरेंगे।
फाइल प्रोसेस करके आगे भेज दी गई है। अब आगे सीएम ऑफिस में फैसला होगा। वरिष्ठता सूची प्रभावित होने की जो बात आ रही है, ऐसा कुछ नहीं है। सोसायटी बहुतकनीकी में कर्मचारी या अध्यापक की जिस पद पर भर्ती हुई थी, वह कर्मचारी उसी पद के हिसाब से सरकारी में मर्ज होगा, ऐसा प्रावधान किया गया है। समायोजन में पदोन्नति के दौरान जो वेतनमान बढ़ा है, उसे प्रभावित नहीं करेंगे, बल्कि पद पुराना रखेंगे। इसलिए विवाद का कोई सवाल ही नहीं है। – आनंद मोहन शरण, एसीएस, तकनीकी शिक्षा विभाग।