पॉलिसी में संशोधन, अब सभी आयुष संस्थान शामिल, ये लोग करवा सकेंगे इलाज

पॉलिसी में संशोधन, अब सभी आयुष संस्थान शामिल, ये लोग करवा सकेंगे इलाज

हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों के लिए जो मेडिक्लेम प्रतिपूर्ति नीति संशोधित की है, उसमें सभी सरकारी आयुष संस्थान शामिल किए हैं। इस नीति के अनुसार, सभी सरकारी आयुष संस्थान, निजी आयुष अस्पताल, जिनके पास एनएबीएच प्रमाणपत्र और प्रवेश स्तर के एनएबीएच प्रमाणपत्र हैं। उन्हें इस नीति के तहत सूचीबद्ध किया जाएगा। इससे आयुष निजी चिकित्सकों को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि वे अपने अस्पतालों को सूचीबद्ध करवा सकते हैं।

हरियाणा सरकार के कर्मचारी, पेंशनभोगी और उनके आश्रित राज्य सरकार के तहत आयुष सूचीबद्ध अस्पतालों में इंडोर दाखिल होकर अपनी बीमारी का इलाज करा सकते हैं। कुछ योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों की पुरानी बीमारी के रोगियों के बाह्य उपचार के दौरान भी प्रतिपूर्ति की जाएगी, क्योंकि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अस्पतालों में बाह्य रोगियों को उपचार कराने के लिए कोई दवा निर्धारित नहीं है।

इस नीति के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पताल कर्मचारियों से निश्चित पैकेज दरों पर शुल्क लेंगे, जिसकी प्रतिपूर्ति बाद में संबंधित विभाग को बिल जमा करने के बाद की जाएगी। कमरे का किराया भी कर्मचारी के मूल वेतन के अनुसार तय किया जाएगा, जो संबंधित अस्पताल द्वारा पात्रता के अनुसार लिया जाएगा और पूरी तरह से प्रतिपूर्ति योग्य होगा।

इन सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी के माध्यम से इनडोर दाखिल होने के दौरान गैर-पैकेज उपचार के मामले में भी कमरे के किराये की पात्रता, प्रयोगशाला दरों और प्रवेश के दौरान दी गई दवाओं की लागत के बराबर प्रतिपूर्ति की जाएगी। इस नीति के तहत दवाओं की प्रतिपूर्ति योग्य सूची भी तैयार की जाएगी, जो निजी आयुष सूचीबद्ध अस्पतालों में इनडोर प्रवेश के दौरान पूरी तरह से प्रतिपूर्ति योग्य होगी।

कॉलोनाइजरों के लाइसेंस के नवीनीकरण में राहत
हरियाणा सरकार ने कॉलोनाइजरों को राहत देते हुए रुके हुए प्रोजेक्टों को गति प्रदान की है। जिन कॉलोनाइजरों से लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क और उस पर लागू ब्याज जमा करने में चूक हुई, उन्हें राहत देते हुए एकमुश्त समाधान योजना ‘विवादों का समाधान’ की शुरुआत की है। यह योजना इसकी अधिसूचना से छह महीने की अवधि के लिए खुली रहेगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि कई पेंचीदगियां हैं जिसके कारण लाइसेंस नवीनीकरण नहीं हो पाता। विभाग और कॉलोनाइजर के बीच खींचतान चलती रहती है और लाइसेंस की राशि बढ़ती जाती है। ऐसे मामलों में लाइसेंस नवीनीकरण के कारण काम अटक जाता है। हरियाणा विकास एवं शहरी क्षेत्रों के नियमों के मुताबिक कॉलोनाइजरों को लाइसेंस की वैधता अवधि के भीतर विकास कार्यों को पूरा करने में विफल रहने पर लाइसेंस का नवीनीकरण कराना होता है। विलंब होने पर 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।

यदि कोई कॉलोनाइजर नवीनीकरण शुल्क के खिलाफ बकाया मूल राशि का 100 प्रतिशत जमा करता है और लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क की मूल राशि का 25 प्रतिशत ब्याज के रूप में जमा करता है, यानी कुल बकाया का 125 प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क, ऐसे लाइसेंस को नवीनीकरण के लिए माना जाएगा।

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