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पानी के लिए त्राहि-त्राहि की स्थिति है। लोगों को पानी पिलाने के लिए जिम्मेदार महकमों की पूर्व तैयारी दिख नहीं रही है। स्थिति यह है कि जौनपुर प्रखंड के पचास गांवों को पेयजल मुहैया कराने वाली महत्वाकांक्षी लातूर पंपिग योजना की निर्माणदायी संस्था फरार हो गई, तो गोपेश्वर की अमृत गंगा का निर्माण भी अधर में है। इसका निर्माण करने वाले ठेकेदार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। अब जल निगम इन योजनाओं को पूरा करने के लिए नए ठेकेदारों की तलाश में है। शासन स्तर पर भी पानी पिलाने के लिए अब कुछ कवायद होती दिख रही है। हालांकि अभी स्थिति का ब्योरा ही मांगा गया है। देखना यह है कि ये ब्योरा कब तक उपलब्ध होता है, और कब उस पर कोई योजना बनती है।

दो वर्षों में हो पाया केवल बीस फीसदी काम
– कंपनी की 45 लाख की सिक्योरिटी जब्त
अमर उजाला ब्यूरो
नई टिहरी/चंबा। जौनपुर प्रखंड की लातूर पंपिंग योजना का निर्माण कर रही नोएडा की जेपलिन कंपनी काम पूरा करने से पहले ही फरार हो गई। इस मामले में जल निगम की कार्रवाई कंपनी की सिक्योरिटी राशि जब्त करने तक सीमित रही है। ऐसे में पचास गांवों की प्यास बुझाने वाली इस योजना का 2014 में काम पूरा होने के आसार नहीं लग रहे हैं। इस परियोजना पर अब तक तीन करोड़ खर्च हो चुके हैं।
वर्ष 2011 जुलाई में लालूर पंपिंग योजना के निर्माण के लिए 14 करोड़ की स्वीकृति मिली थी। जून 2014 तक योजना निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जल निगम ने नोएडा की जेपलिन कंपनी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। निर्माणदायी कंपनी दो वर्ष में 20 फीसदी कार्य करने के बाद छह माह पहले रफू चक्कर हो गई। अब चार माह पहले जल निगम चंबा ने चार अलग-अलग कंपनियों को निर्माण कार्य सौंपा है। निगम के अधिकारियों के अनुसार जेपलिन एक करोड़ से अधिक का का काम कर चुकी थी। हालांकि विभाग की ओर से उसे सिर्फ नौ लाख का ही भुगतान किया गया है। कंपनी के भाग जाने पर उसकी 45 लाख की सिक्योरिटी विभाग ने जब्त कर ली है।

अधिकारियों के पास नहीं है जवाब
नई टिहरी। सामाजिक कार्यकर्त्ता राजाराम नौटियाल, वीरेंद्र गौड, ताजीराम और दिनेश उनियाल का कहना है कि अधिकारियों की सांठ-गांठ से अयोग्य कंपनी को ठेका दिया गया। अब कंपनी के भाग जाने पर अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है। विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा क्षेत्र की 15 हजार आबादी को भुगतना पड़ रहा है। पाइप लाइन भी मानकों के अनुरूप नहीं बिछाई जा रही है। नागथात में बनने वाला टैंक ग्रामीणों की सहमति के बाद ही बनना चाहिए। मंशाराम नौटियाल और चैन सिंह नेगी ने अब तक हुए निर्माण कार्यों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

इन गांवों को मिलना था लाभ
विरोड, देवनगनसी, भ्यांणी, मातली, खड़कसारी, हडिडया, टिकरी, मरोड, नैनगांव, भुटगांव, खैराड, मुनोग, डकरोल, जाखाधार, देवन, नकोट, बडेल, छानी, सल्टवाड़, घनसी, बडोल, मिरिया गावं आदि शामिल है।

कोट-
जेपलिन कंपनी का कार्य संतोषजनक नहीं था। इसलिए उसका अनुबंध निरस्त कर नए सिरे से टेंडर कर अन्य कंपिनयों को काम दिया गया। जेपलिन कंपनी की 45 लाख की सिक्योरिटी जब्त कर ली गई है। इन दिनों योजना पर काम चल रहा है। जून 2014 तक काम पूरा कर लिया जाएगा। -संजय सिंह ईई जल निगम चंबा

फोटो फाइल नेम-02जीओपी03.जेपीजी

अमृत गंगा पेयजल योजना भी अधूरी
गोपेश्वर। अमृत गंगा पेयजल योजना भी खूब छका रही है। जल निगम ने मई माह तक योजना से जलापूर्ति का वायदा किया था। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि तीन महीने से काम ठप है। निर्माण करा रहा ठेकेदार आधा-अधूरा काम छोड़कर चले गया है। जिससे इस वर्ष भी लोगों को अमृत गंगा के पानी के लिए इंतजार ही करना पडे़गा।
नगर में नैग्वाड़, हल्दापानी, सुभाष नगर, बसंत विहार, पीजी कालेज कालोनी, पुलिस लाइन आदि जगहों पर लोग पेयजल के लिए भटक रहे हैं। मंडल घाटी से नगर में चार पेयजल योजनाएं संचालित हो रही हैं। लेकिन पेयजल स्रोत पर पानी की मात्रा कम होने से समस्या बढ़ गई है।

आठ वर्ष में भी नहीं बही अमृत गंगा
नगर में पेयजल किल्लत को देखते हुए वर्ष 2006 में अमृत गंगा पेयजल योजना को स्वीकृति मिली। इसके लिए 7 करोड़ 56 लाख रुपये स्वीकृत हुए। लेकिन योजना पर कार्य शुरू करने के लिए चार वर्ष के लंबे अंतराल के बाद वर्ष 2010 में जल निगम को शासन से 5 करोड़ 10 लाख रुपये मिले। पेयजल लाइन को 12 किमी तक बिछनी है। आठ वर्ष गुजरने पर अब तक साढे़ दस किमी पाइप बिछे हैं।

इनका कहना है-
जल निगम को शीघ्र अमृत गंगा योजना के निर्माण के निर्देश दिए हैं। पैसे की कमी नहीं है। फिलहाल जल संस्थान के अधिकारियों को नगर में पर्याप्त आपूर्ति के निर्देश दिए गए हैं। – राजेंद्र भंडारी, विधायक, बदरीनाथ क्षेत्र।

ठेकेदार को शीघ्र कार्य शुरू करने के लिए कहा गया है। दो दिन में काम शुरू नहीं होने पर ठेकेदार बदल देंगे। योजना के तहत 200 केएल का टैंक भी बना दिया गया है। अब नए सत्र से पानी की सप्लाई शुरू कर दी जाएगी। – सुखवीर सिंह, ईई, जल निगम, गोपेश्वर।

शासन ने मांगा जिलों में पेयजल समस्या का ब्योरा
– अधिकारियों को देनी होगी हैंडपंपों, योजनाओं की जानकारी
– जानकारी एकत्रित करने के बाद भेजेंगे शासन को
पौड़ी। पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल समस्या की स्थिति को देखते हुए अब शासन ने जिलों से पेयजल समस्या के बारे में ब्योरा मांगा है। इसके तहत विभागीय अधिकारियों से संबंधित जिलों में हैंडपंपों, पेयजल योजनाओं की स्थिति समेत कई जानकारियां मांगी हुई हैं।
गर्मी से इन दिनों पर्वतीय क्षेत्रों में जल संकट गहरा गया है। पेयजल योजनाएं खराब पड़ी हैं। अब शासन ने विभागीय अधिकारियों से जिलों में हैंडपंपों और पेयजल योजनाओं की स्थिति, पेयजल समस्या से ग्रस्त क्षेत्रों का ब्योरा, पिछले साल टैंकरों से की गई पेयजल आपूर्ति अवशेष भुगतान समेत कई जानकारियां मंगाई हैं। साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में इस साल पेयजल समस्या के लिए संभावित क्षेत्रों और संसाधनों के बारे में भी विवरण मांगा है। जल संस्थान पौड़ी के प्रभारी महाप्रबंधक डीके मिश्रा ने बताया कि शासन के निर्देशों के अनुसार सभी जिलों को जानकारियां शीघ्र भेजने के निर्देश दिए गए हैं। जिलों से पूरी जानकारियों आने के बाद उन्हें कंपाइल कर शासन को भेज दिया जाएगा।

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