पुलिस और जज का ऐसा कारनामा आया सामने, अब हाईकोर्ट ने मामले में लिया कड़ा संज्ञान

पुलिस और जज का ऐसा कारनामा आया सामने, अब हाईकोर्ट ने मामले में लिया कड़ा संज्ञान

बिना साक्ष्य व तथ्य को जांचे परखे एक व्यक्ति को अवैध तरीके से रखा गया हिरासत में जानिए क्या है पूरा मामला ?आपराधिक मामला दर्ज हुए बगैर गिरफ्तार और हिरासत में रखने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने सचिव गृह और पुलिस विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जेल भेजने वाले जज को भी प्रतिवादी बनाया गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 22 जून निर्धारित की है। याचिकाकर्ता बुधी सिंह ने अवैध हिरासत में रखने के लिए एक करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है।

मामले के अनुसार पंजाब नेशनल बैंक करसोग ने बुधी सिंह पुत्र कपुरू के खिलाफ चेक बाउंस की शिकायत दर्ज की थी। न्यायिक दंडाधिकारी करसोग ने बुधी सिंह पुत्र कपुरू के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। मामले की सुनवाई 20 जून को निर्धारित की गई थी। 18 जून 2022 को करसोग पुलिस ने याचिकाकर्ता को गैर जमानती वारंट की तामील की और उसे 20 जून को को अदालत के समक्ष पेश किया।

याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष बयान दिया कि उसके खिलाफ किसी भी अदालत में कोई मामला दर्ज नहीं है। आरोप लगाया गया कि पुलिस ने गलती से उसे गिरफ्तार किया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि अदालत ने उसकी एक भी नहीं सुनी और उसे तीन दिन के लिए हिरासत में भेज दिया। 21 जून को जब याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष आवेदन दायर किया कि मामला किसी और बुधी सिंह पुत्र कपुरू के खिलाफ दर्ज है। निचली अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता और आरोपी का नाम और उनके पिता का नाम एक समान है, जबकि दोनों का पता अलग-अलग है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि न तो पुलिस ने इस बारे याचिकाकर्ता की बात सुनी और न ही न्यायिक दंडाधिकारी करसोग ने। दलील दी गई है कि पुलिस और अदालत ने याचिकाकर्ता को अवैध हिरासत में रखा है। इससे उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को हानि पहुंची है। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि मौलिक अधिकारों के हनन के लिए सचिव को जांच करने के आदेश दिए जाए। याचिकाकर्ता ने एक करोड़ रुपये के मुआवजे की गुहार भी लगाई है।

Related posts