
नई दिल्ली। रात के करीब 2.10 बजे थे, हेडकांस्टेबल रामकिशन अपने साथी सिपाही जेके सिद्य के साथ जोंटी बॉर्डर पर वाहनों की चेकिंग कर रहा था। इस बीच नाइट पेट्रोलिंग पर आए एसआई खजान सिंह और हेड कांस्टेबल विजेंद्र भी वहां पहुंच गए। खजान सिंह पिकेट पर रजिस्टर की जांच करने लगा। तभी हरियाणा की ओर से एक सफेद रंग की एक होंडा सिटी कार वहां आई। रामकिशन ने कार को रोककर ड्राइवर से उसके कागजातों की मांग की। किसी बात पर दोनों के बीच बहस होने लगी। इसी बीच बदमाशों ने रामकिशन पर गोलियां दाग दीं। फायरिंग करते हुए बदमाशों ने कार बैक की और फरार हो गए। इतना सब अन्य पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हुआ। सूत्रों की मानें तो भागते समय बदमाशों की पिस्टल घटनास्थल पर गिर गई थी। इसके बावजूद पुलिसकर्मी बदमाशों को पकड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। ऐसे में रामकिशन के परिजन घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। रामकिशन के भाई का कहना है कि बदमाशों ने उनके भाई पर फायरिंग की, लेकिन किसी पुलिसकर्मी ने उनकी मदद नहीं की। यहां तक पुलिसकर्मियों ने बदमाशों का पीछा करने का भी प्रयास नहीं किया। बदमाश घटनास्थल से फरार हो गए। वहीं दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी दलील दे रहे हैं कि जेके सिद्य पेट्रोलिंग के लिए आए दोनों पुलिसकर्मियों को नाइट चेकिंग रजिस्टर चेक करवा रहा था। यह सब कुछ पल भर में हुआ। वारदात के बाद पुलिसकर्मियों ने रामकिशन को अस्पताल ले जाने को प्राथमिकता दी।
कुश्ती में हरियाणा का चैंपियन था रामकिशन
नई दिल्ली। रामकिशन की मौत से दिल्ली पुलिस ने न केवल जाबांज सिपाही, बल्कि एक खिलाड़ी भी खो दिया। परिजनों के मुताबिक बचपन से ही रामकिशन पहलवानी किया करता था। वर्ष 1993 में वह कुश्ती में हरियाणा का चैंपियन भी रहा था। रामकिशन के रिश्तेदारों ने बताया कि उसका परिवार लंबे समय से देश की सेवा कर रहा है। उसके पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। रामकिशन के छोटे भाई भारत सिंह ने बताया कि वर्ष 1984 में उसके भाई ने दिल्ली पुलिस में सिपाही की नौकरी शुरू की थी। भर्ती के समय वहां बैठे अफसरों को रामकिशन ने बताया कि वह पहलवानी करता है, इस बात पर वहां मौजूद अफसरों ने टेस्ट लेने के लिए उसकी कई युवकों से कुश्ती कराई, लेकिन उसने सभी को पटकी दे डाली। इससे प्रभावित होकर रामकिशन को भर्ती कर लिया गया। भारत के मुताबिक, छह भाइयों में तीन भाई एयरफोर्स में थे, जबकि वह खुद बीएसएफ से रिटायर हो चुका है। भारत ने बताया कि सुलतानपुरी में लंबा समय बिताने के बाद उसका भाई पिछले एक साल से कंझावला थाने में तैनात था। रामकिशन की मौत से उसके मोहल्ले वाले दुखी हैं। पड़ोसी सोमवीर राठी ने बताया कि रामकिशन बेहद निडर था। जब वह मोहल्ले में होता था तो लोग अपने घरों में बेफिक्र होकर सोते थे। अन्य पड़ोसी राजपाल ने बताया कि रामकिशन रोजाना सुबह चार बजे उठकर पेड़-पौधों को पानी देने के अलावा लोगों को सैर के लिए भी उठाता था।