पिछड़ी जाति में पिछड़ा उत्तराखंड

नैनीताल। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य डा. शकील उज्जमा अंसारी ने कहा कि उत्तराखंड निर्माण को 12 वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक यहां पिछड़ा वर्ग की अंतिम सूची नहीं बन पाई है। प्रदेश में आयोग तो बना है, पर उसके पास आपेक्षित अधिकार नहीं हैं।
नैनीताल क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में अंसारी ने कहा कि वर्तमान में देश में 127 पिछड़ी जातियां हैं, लेकिन उत्तराखंड में 3 का ही प्रमाणीकरण हुआ है। बीती सरकार में इस क्षेत्र में पहल नहीं की गई, लेकिन वर्तमान सरकार बातचीत में इसके प्रति संवेदनशील नजर आती है। मामले में पिछड़ा वर्ग कमीशन से पत्राचार किया जा रहा है। टैंटिव लिस्ट में संशोधन कर इसे अंतिम रूप दिए जाने का कार्य प्रगति पर है।
केंद्रीय सदस्य ने कहा कि ओबीसी के प्रमाण पत्र में भी व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं। जिसके निस्तारण के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रत्येक छह माह तथा एक वर्ष में इस प्रमाण पत्र को रिवाइज करने का प्रावधान है। ऐसे में नियमों का सरलीकरण न होने से प्रमाणपत्र धारकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान समाज कल्याण अधिकारी सरोज राणा भी मौजूद थी।

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