परफार्मेंस का दबाव नहीं, रिजल्ट का जवाब नहीं

देहरादून। परफार्मेंस का दबाव नहीं तो रिजल्ट तो बेहतर होगा ही। चेन्नई के बाद इलाहाबाद जोन के दूसरे स्थान पर रहने का शायद यही कारण रहा। दून इसी जोन में पड़ता है। संयुक्त नतीजा खुद अपनी मिसाल है। यूपी/उत्तराखंड में 99.2 फीसदी छात्र, जबकि 99.4 प्रतिशत छात्राएं पास हुईं। दून भी इसी जोन में पड़ता है। ज्यादातर स्कूलों से सीबीएसई की परीक्षा में बैठे छात्र-छात्राओं में 25 फीसदी से ज्यादा ने ए-1 ग्रेड हासिल किया। यानी 10 सीजीपीए के तहत इनका प्रतिशत 91 से लेकर 100 के बीच आया है। इस प्रदर्शन को वैज्ञानिक सीधे-सीधे दबाव से जोड़कर देखते हैं। उनके मुताबिक बेहतर प्रदर्शन का दबाव परफार्मेंस बिगाड़ता है। खास तौर से जो विषय पसंद नहीं, उसे बेहतर कर पाना दबाव को बढ़ाता है, साथ ही परफार्मेंस को प्रभावित करता है।
बच्चे को पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों के आधार पर आंकने के लिए ही ग्रेडिंग को लागू किया गया। इनमें कई उसकी मनपसंद गतिविधियां होती हैं, मसलन ड्राइंग, म्यूजिक आदि। जाहिर है इनके आधार पर मिलने वाले अंक उनकी परफार्मेंस को बेहतर बनाते हैं।
–डा. रश्मि वाधवा, एजुकेशन काउंसलर
परीक्षा का दबाव खत्म होने और ग्रेडिंग लागू करने की सबसे अच्छी बात यही हुई है कि परफार्मेंस लगातार निखरी है। जोन के दूसरे स्थान पर आने के पीछे भी यही कारण साफ तौर पर दिखाई देता है। बालक और बालिकाओं का क्रमश : 99.2 और 99.4 प्रदर्शन। और क्या चाहिए। राउंड आफ हटाकर इसे 100 ही माना जाना चाहिए।

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