
चंडीगढ़
पंजाब में कोविड-19 के बाद राज्य को फिर से पटरी पर लाने के उद्देश्य से नीति बनाने के लिए गठित समूह ने सोमवार को पहली बैठक की। जाने माने अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह आहलुवालिया के नेतृत्व में विशेषज्ञों के समूह ने इस बैठक में पांच सब ग्रुप तैयार किए। इसके साथ ही, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी राज्य की अर्थव्यवस्था और प्रगति को फिर बहाल करने के लिए अपना मार्गदर्शन देने की कैप्टन अमरिंदर सिंह की अपील को स्वीकार कर लिया है।
आहलुवालिया के नेतृत्व में विशेषज्ञों के ग्रुप ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री के साथ एक परिचय (इंट्रोडक्शन) मीटिंग की। इसमें खुलासा किया गया कि मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों के ग्रुप के साथ डॉ. मनमोहन सिंह को राज्य सरकार का नेतृत्व करने के लिए लिखा था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। इसके बाद उन्होंने ट्वीट किया, ‘हम पंजाब को कोविड-19 के बाद आर्थिक विकास के रास्ते पर आगे ले जाने के लिए सख्त मेहनत करेंगे। हम इस पर दोबारा ध्यान केंद्रित करेंगे।’
वित्त, कृषि, स्वास्थ्य, उद्योग और सामाजिक सहायता समूह बनाए
आहलुवालिया ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि विशेषज्ञों के समूह ने अपनी पहली मीटिंग की है। उन्होंने बताया कि समूह के कामकाज को और सुचारू बनाने के लिए पांच सब ग्र्रुप वित्त, कृषि, स्वास्थ्य, उद्योग और सामाजिक सहायता बनाए गए हैं। इस ग्रुप में पहले 20 सदस्य थे। इसमें दो और सदस्य शामिल किए गए हैं।
पंजाब को मासिक 3360 करोड़ का घाटा : कैप्टन
कैप्टन ने विशेषज्ञ ग्रुप को बताया कि राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर है और उसे मासिक 3360 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ है। इनमें जीएसटी के 1322 करोड़ रुपये, शराब पर राज्य की आबकारी 521 करोड़, मोटर व्हीकल टैक्स के 198 करोड़, पेट्रोल व डीजल पर वैट के 465 करोड़, इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी के 243 करोड़, स्टांप ड्यूटी के 219 करोड़ और नॉन-टैक्स राजस्व के 392 करोड़ रुपये के रूप में घाटा शामिल है।
बिजली दरों में रोजाना 30 करोड़ रुपये का घाटा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के नकदी के आदान-प्रदान में ठहराव आ चुका है। बिजली के उपयोग में 30 प्रतिशत कमी आई है और पंजाब राज्य बिजली बोर्ड को बिजली दरें एकत्रित करने में रोजाना 30 करोड़ रुपये का घाटा है। पंजाब के उद्योग ठप हैं, जहां एक प्रतिशत से भी कम काम चल रहा है। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि भारत सरकार की तरफ से राज्य के जीएसटी का 4365.37 करोड़ रुपये का भुगतान अभी बाकी है।
गेहूं की बंपर पैदावार ने जगाई उम्मीदें
मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहूं की बंपर पैदावार से कृषि ही एकमात्र उज्जवल पक्ष पेश कर रही है। इसके बाद कपास और धान की फसल आएगी। केंद्र सरकार ने मंडियों में अपनी उपज देरी से लाने वाले किसानों को बोनस देने की उनकी अपील को स्वीकार नहीं किया, जो कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए जरूरी था।