नूरपुर (कांगड़ा)। सिविल अस्पताल नूरपुर में व्याप्त अव्यवस्था एक बार फिर उजागर हो गई है। यहां तैनात एकमात्र सीनियर लैब टेक्नीशियन का भी तबादला कर दिया गया है। इससे ब्लड स्टोरेज सेंटर पर ताला लटकने के आसार बन गए हैं। वजह साफ है कि ब्लड स्टोरेज सेंटर के संचालन का विभागीय लाइसेंस डा. नीरजा गुप्ता के अलावा सीनियर लैब टेक्नीशियन रमेश सिंह के ही पास था।
डा. नीरजा अब गंगथ ब्लाक में बतौर बीएमओ के पद पर कार्यरत हैं तो सीनियर लैब टेक्नीशियन रमेश सिंह का तबादला नूरपुर से रैहन कर दिया गया है। इससे पहले भी यहां स्टाफ व बुनियादी सुविधाओं के अभाव के चलते अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठते रहे हैं। आलम यह है कि रेडियोलॉजिस्ट के अभाव के चलते अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग की सुविधा पहले ही तीन माह से ठप पड़ी है। अब ब्लड स्टोरेज सेंटर के फ्रिज में खराबी के चलते दो महीने से रक्त की सप्लाई भी नहीं हो पाई है। ऐसे में सेंटर में खून की उपलब्धता न होने के कारण सिजेरियन आप्रेशनों के अलावा सामान्य सर्जरी भी प्रभावित हो रही है। वहीं, अस्पताल में ब्लड मैचिंग में प्रशिक्षित एकमात्र लैब टैक्नीशियन के तबादले से आपातकालीन परिस्थितियों में मरीज को खून चढ़ाने में डाक्टरों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।
बंद करने पड़ेगा ब्लड स्टोरेज सेंटर : डा. महाजन
नूरपुर अस्पताल के एसएमओ डा. एसके महाजन ने माना कि फ्रिज में खराबी के चलते करीब दो माह तक ब्लड की सप्लाई नहीं मंगवाई जा सकी। अब सीनियर लैब टेक्नीशियन का तबादला होने के बाद किसी अन्य डाक्टर को लाइसेंस जारी न होने तक ब्लड स्टोरेज सेंटर का संचालन बंद करना पड़ेगा।
वैकल्पिक प्रशिक्षण दिलाना होगा : डा. पुरी
ब्लड बैंक जोनल अस्पताल धर्मशाला की प्रभारी डा. अंजु पुरी का कहना है कि दो महीनों में नूरपुर अस्पताल से ब्लड की कोई डिमांड नहीं आई है। जहां तक ब्लड स्टोरेज सेंटर के संचालन का सवाल है तो इसका विभागीय लाइसेंस सिर्फ सीनियर लैब टेक्नीशियन रमेश सिंह के नाम पर है। अगर उनका अन्यत्र ट्रांसफर हो गया है तो अस्पताल प्रशासन को ब्लड स्टोरेज सेंटर के संचालन से पहले किसी चिकित्सक या लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षण दिलवाना होगा।