श्रीनगर। पुनर्वास की मांग को लेकर सेंद्री के ग्रामीणों की ओर से पुनर्वास समिति और श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के प्रतिनिधियों की शनिवार को हुई बैठक बेनतीजा रही। तीन घंटे तक स्थानीय प्रशासन की मध्यस्थता में चली बैठक में ग्रामीणों ने कंपनी के अधिकारियों के बैठक में न पहुंचने पर कड़ी नाराजगी जताई। उपजिलाधिकारी बृजेश कुमार तिवारी ने प्रभावितों को परियोजना से हो रहे नुकसान का आंकलन करने के लिए प्रशासन की टीम तैयार करने का आश्वासन दिया।
श्रीनगर जल विद्युत परियोजना की हाई रेस टनल के ऊपर बसे सेंद्री गांव के ग्रामीण सुरक्षा को लेकर सकते में हैं। ग्रामीण बार-बार परियोजना कंपनी से पुनर्वास की मांग कर रहे हैं, लेकिन परियोजना की निर्माणदायी संस्था जीवीके के अधिकारी ग्रामीणों की बात सुनने को ही तैयार नहीं हैं। शनिवार को प्रशासन की पहल पर बैठक तो हुई लेकिन इसमें कंपनी के अधिकारी नहीं पहुंचे। अधिकारियों के प्रतिनिधि के तौर पर बैठक में जनसंपर्क प्रबंधक राजेंद्र सिंह चौहान आए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण यदि पावर टावरों का निर्माण कार्य शुरू कर दें, तो पुनर्वास के संदर्भ में कंपनी ग्रामीणों से वार्ता के लिए आगे आएगी। गुस्साए ग्रामीणों ने कहा कि कंपनी हमारे जीने का अधिकार ही छीन चुकी है। बैठक में एसडीएम बीके तिवारी, पुनर्वास समिति के अध्यक्ष राम चंद्र सिंह कंडियाल, उपाध्यक्ष विजेंद्र सिंह कंडियाल, सचिव प्रकाश रावत, सह सचिव बीना कठैत, राजेंद्र सिंह बिष्ट, जयप्रकाश शाह और विधायक प्रतिनिधि राकेश बिष्ट आदि मौजूद थे।
इंसेट
– खेतों और जंगलों में सूख चुके पेड़ों का निरीक्षण स्वयं प्रशासन करेगा। भूस्खलन का सर्वे स्थलीय निरीक्षण कर किया जाएगा। वन भूमि और सिविल भूमि में परियोजना के पावर टावरों की संख्या के लिए जो स्वीकृति प्राप्त है, इसकी सूची डीएफओ से ली जाएगी। इसके साथ ही ग्राम प्रधान की ओर से दी गई विस्थापन की सूची का सत्यापन कराया जाएगा। उसके बाद विस्थापन होगा। – बृजेश कुमार तिवारी, उपजिलाधिकारी कीर्तिनगर।