धूमल सरकार में 650 फोन अबैध रूप से हुए टैप

धूमल सरकार में 650 फोन अबैध रूप से  हुए टैप

हिमाचल में पूर्व भाजपा सरकार के समय हुए अवैध फोन टैपिंग मामले में फारेंसिक लैब जुन्गा ने शुक्रवार शाम को रिपोर्ट सरकार को दे दी। मुख्य सचिव को सौंपी गई करीब 7 पन्नों की रिपोर्ट में यह पुष्टि की गई है कि वर्ष 2009 से 2011 के बीच करीब 650 फोन टैप हुए। इन फोन नंबरों की लिस्ट रिपोर्ट में है। इनमें कई राजनेताओं, अफसरों, उद्योगपतियों, ठेकेदारों और मीडिया कर्मियों के नंबर हैं।

रिकार्ड की गई उनकी बातचीत की सीलबंद सीडी भी लैब ने मुख्य सचिव को दी है। इसे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के शिमला लौटने पर ही खोला जाएगा। यह टैपिंग सीआईडी ने की है। इस खुलासे से राजनीति में हड़कंप की स्थिति है।

सरकार के उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि यह रिपोर्ट केवल सीआईडी के कसुम्पटी स्थित तकनीकी विंग के कंप्यूटर हार्ड डिस्क की है। विजिलेंस के कंप्यूटर हार्ड डिस्क की रिपोर्ट अभी करीब 15 दिन बाद आएगी। इसलिए संभव है कि टैप किए गए कुल नंबरों की संख्या 1000 पार कर जाए।

शीर्ष सूत्र ये भी बता रहे हैं कि 2009 से पहले का डाटा हार्ड डिस्क से रिकार्ड नहीं हो पाया है। लेकिन इसके बाद के दो वर्षों में करीब 90 मामलों में टैपिंग की मंजूरी सरकार ने दी थी। यानी इसके अलावा सभी नंबर अवैध तरीके से टैप किए गए। इनमें कुछ बीएसएनएल के लैंडलाइन नंबर भी हैं। चूंकि नंबरों की लिस्ट ज्यादा लंबी है, इसलिए इन्हें वेरिफाई किया जा रहा है कि कौन से नंबर की मंजूरी गृह सचिव या मुख्य सचिव ने दी थी?

नंबर सार्वजनिक किए जाएंगे या नहीं, यह फैसला अब सरकार को लेना है। मुख्यमंत्री 17 फरवरी रविवार को शिमला लौट रहे हैं। सोमवार या 19 फरवरी को कैबिनेट बैठक के दिन इस मसले पर आगामी कार्रवाई पर कोई फैसला हो सकता है।

सीएम तक नहीं आती टैपिंग की फाइल: धूमल
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि फोन टैपिंग किसकी करनी है और किसकी नहीं? इस बारे में टेलीग्राफ एक्ट के तहत गृह सचिव को फैसला लेना होता है। इसमें सीएम का कोई रोल नहीं होता। अपराध या अन्य परिस्थितियों में जो वैध टैपिंग भी होती है, उसकी जानकारी भी सीएम को नहीं दी जाती। यह सीआईडी, पुलिस और गृह विभाग के बीच का मामला होता है। सरकार सारे मामले की जांच करवाए और कानूनन कार्रवाई हो। कहीं ये लोगों का ध्यान बंटाने की कोशिश तो नहीं?

सच निकला कांग्रेस का संदेह: सुधीर शर्मा
कांग्रेस महासचिव एवं शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने कहा कि फारेंसिक रिपोर्ट से कांग्रेस का वह संदेह सही निकला है, जिसमें विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने फोन टैपिंग के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार के समय किसी की प्राइवेसी सुरक्षित नहीं थी। यह एक गलत चलन है। आखिर किसके आदेशों से यह सब हुआ? कांग्रेस का मानना है कि इसमें संलिप्त सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वे राजनेता हों या पुलिस व प्रशासनिक अफसर।

कब क्या हुआ
25 दिसंबर 2012: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की शपथ वाले दिन सीआईडी और विजिलेंस के तकनीकी सेल में रखे कंप्यूटरों को मुख्य सचिव की मौजूदगी में रात को सीज किया गया। कार्रवाई सुबह तक चलती रही।

26 दिसंबर 2012: एक दर्जन कंप्यूटर शाम 5 बजे तक फारेंसिक लैब जुन्गा पहुंचाए गए। इनमें सीआईडी प्रमुख सहित आईजी और डीआईजी के कंप्यूटर भी शामिल थे। सीआईडी से कुल 8 कंप्यूटर सीज हुए और विजिलेंस से 4 कंप्यूटरों को सीज कर लैब भेजा गया।

27 दिसंबर 2012: मुख्य सचिव सुदृप्त राय की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई। इसमें लैब को अपनी रिपोर्ट 15 दिन के भीतर तैयार करने को कहा। 15 जनवरी को लैब ने अतिरिक्त समय मांगा।

15 फरवरी 2012: सीआईडी से जब्त किए गए कंप्यूटरों की अंतिम रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंपी। विजिलेंस की रिपोर्ट आना अभी बाकी है। इसमें 10-15 दिन और लग जाएंगे।

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