देश की एक ही मांग, बलात्कारियों को फांसी दो

दिल्ली गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद हर कोई यही जानना चाहता है कि देश में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं? क्या महिलाओं के लिए घर से निकलना अपराध है? ऐसे कई सारे सवाल हैं जिस पर सरकार बेबस नजर आ रही है।

रटे-रटाये बयानों के अलावा लोगों को कुछ होता हुआ नहीं दिख रहा है। प्रधानमंत्री समेत सभी लोग पीड़िता की मौत से गमजदा हैं और बलात्कारियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की बात कहते हैं। लेकिन सवाल यह है कि महिलाओं में सुरक्षा की भावना कैसे पैदा की जाएगी?

भले ही सरकार कह रही हो कि दोषियों को बख्‍शा नहीं जाएगा लेकिन जिसकी मौत हो गई है, वह तो वापस नहीं आएगी। अब बस लोगों की एक ही मांग है कि जितना जल्द हो सके बलात्कारियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया जाए।

इस मामले में ईरान में बलात्कारियों के खिलाफ लिए गए कड़े फैसले को उदाहरण के तौर पर पेश किया जा सकता है। अब यह सवाल उठता है कि ईरान और अन्य इसलामिक देशों में महिलाओं में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के लिए सरेआम फांसी दी जा सकती है। तो ऐसे में क्या भारत में कानून में बदलाव कर बलात्कार करने वालों के खिलाफ फांसी का प्रावधान किया जा सकता है?

उल्लेखनीय है कि ईरान के दक्षिण पश्चिमी शहर यासोउज में 48 घंटे पूर्व बलात्कार के पांच दोषियों को एक पार्क में सरेआम फांसी दी गई। पांचों में से चार ने एक महिला को उसके मंगेतर के पास से उठा लिया और उसके साथ दुष्कर्म किया। वहीं पांचवां शख्स एक अन्य महिला के साथ दुष्कर्म करने का दोषी ठहराया गया था।

सबसे अहम बात यह है कि सजा-ए-मौत पाने वाले सभी दोषियों की आयु 30 वर्ष के आसपास है। वैसे भी ईरान के कानून में मादक पदार्थो की तस्करी, हत्या, यौनाचार, दुष्कर्म और डकैती के आरोपियों को पत्थर मार कर मौत की सजा देने का प्रावधान है।

सवाल- क्या आपको लगता है कि भारत में भी बलात्कारियों को सरेआम फांसी दी जानी चाहिए?

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