आईएससी में देशभर में टॉप करने वाली देहरादून की भुवन्या विजय ने एक और कामयाबी दर्ज की है। पहले क्लैट परीक्षा में 14वीं रैंक हासिल करने वाली भुवन्या का चयन अब आईआईएम इंदौर के पांच वर्षीय इंटिग्रेटिड कोर्स के लिए भी हो गया है। इसका परिणाम बृहस्पतिवार को जारी हुआ।
भुवन्या का भी नाम शामिल
आईआईएम इंदौर की ओर से इंटिग्रेटिड प्रोग्राम इन मैनेजमेंट(आईपीएम) की प्रवेश परीक्षा अखिल भारतीय स्तर पर 15 मई को आयोजित हुई थी। परीक्षा परिणाम में करीब 500 छात्रों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। 60 सीटों के लिए आयोजित हुए इंटरव्यू के बाद जारी हुए अंतिम परिणाम में भुवन्या का भी नाम शामिल है।
हालांकि भुवन्या का कहना है कि वह इन दिनों बंगलुरू स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में दाखिले की तैयारी कर रही है। आईपीएम की तैयारी करवाने वाले कॅरियर लांचर के अकादमिक निदेशक अमित मित्तल ने बताया कि पहली बार आयोजित हुई यह परीक्षा काफी कठिन थी। इसमें 60 सीटों के लिए देशभर से करीब दस हजार अभ्यर्थियों ने प्रतिभाग किया था।
डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बनना
होशियार भुवन्या कभी डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बनना चाहती थी। उसे साइंस के विषय काफी बोर करते थे। उसका पसंदीदा विषय अंग्रेजी रहा है। अपने मां-बाप की इकलौती संतान भुवन्या के पिता उत्तराखंड कैडर के आईएफएस अधिकारी हैं।
एक के बाद एक सफलताओं को हासिल करने वाली भुवन्या एनएलएसआईयू बैंगलोर से लॉ करने के बाद एनजीओ के माध्यम से लड़कियों के लिए कुछ करना चाहती है। भुवन्या की मां सुनीता विजय लैंडस्केप डिजाइनर हैं।
पहले भी किया नाम रोशन
देश में नाम रोशन करने का भुवन्या का यह कोई पहला मौका नहीं है। वर्ष 2011 और 2012 में भुवन्या ने अखिल भारतीय स्तर की फ्रैंक एंथनी वाद-विवाद प्रतियोगिता में श्रेष्ठ वक्ता का खिताब अपने नाम किया है।
भुवन्या ने बेहद संजीदगी के साथ अपने स्कूल की हेड गर्ल की जिम्मेदारी भी निभाई है। इतना ही नहीं वह कॉलेज मैगजीन की संपादिका भी रही है।
पढ़ाकू नहीं है टॉपर
भुवन्या का मानना है कि दिन-रात किताबें चाटने के बजाए उसने हमेशा संतुलित तरीके से पढ़ाई की। मां के साथ बैठकर पसंदीदा ‘उतरन’ सीरियल देखने वाली भुवन्या जितनी देर भी पढ़ती थी, खूब मन लगाकर पढ़ती थी।
भुवन्या का मानना है कि अगर विषय को समझकर पढ़ें तो सफलता की राह आसान हो जाती है। वह रातभर की पढ़ाई में विश्वास नहीं रखती।
प्रतिभाओं की धनी
भले ही इकलौती संतान में इंट्रोवर्ड होने का खतरा होता हो, लेकिन जीनियस बेटी भुवन्या विजय बिल्कुल मिलनसार है। वह अपने स्कूल की हेड गर्ल ही नहीं बल्कि स्कूल मैगजीन की एडिटर भी रही है।
भुवन्या की मां सुनीता विजय कहती हैं कि वह खुद काफी वाकपटु रही हैं, इसलिए उनकी बेटी पर भी इसका प्रभाव है। उनकी बेटी भी समाज के हर तबके से आसानी से घुल मिल जाती है। वह स्कूल में दोस्तों की अच्छी मंडली तो रखती ही है, आस पड़ोस में भी काफी फ्रेंडली रहती है।
दिए सफलता के टिप्स
आईएससी में 99 प्रतिशत अंक प्राप्त कर देश की टॉपर बन नाम रोशन करने वाली भुवन्या विजय पढ़ाई को भी अपने ही तरीके से लेकर चलती है। तैयारी के लिए जहां बच्चे कोचिंग के लिए भागते हैं, भुवन्या ने सेल्फ स्टडी पर फोकस रखा। सेंट जोजेफ्स एकेडमी की छात्रा भुवन्या ने बताया कि कोचिंग में सिर्फ समय खराब होता है। भागदौड़ और टेंशन के बजाय छात्र सेल्फ स्टडी पर फोकस करें तो उन्हें कोचिंग की आवश्यकता ही न पड़े।
दसवीं के बाद ह्यूमेनिटीज लेना चाहने वाली भुवन्या को साइंस लेना पड़ा। फिजिक्स-कैमिस्ट्री में दिलचस्पी न होने के बावजूद उसने शानदार कामयाबी हासिल की। भुवन्या कहती है कि किसी भी विषय में दिलचस्पी जगाना अपने वश में है।
विषय को समझना शुरू करें तो निश्चित तौर से उस पर पकड़ बन जाएगी। भुवन्या ने बताया कि स्टडी के दौरान दिक्कतों पर वह अपने पिता आईएफएस अधिकारी विजय कुमार की सहायता से काबू पाती थी या फिर स्कूल में अपनी टीचर से।