दिल्ली में गूंजेगी विस्थापितों की आवाज

कुल्लू। पार्वती जल बिजली परियोजना में स्थायी रोजगार की मांग कर रहे विस्थापितों का कहना है कि उन्हें परियोजना प्रबंधन के किसी भी आश्वासन पर भरोसा नहीं है। बिहाली में बीते एक सप्ताह से आंदोलन कर रहे विस्थापितों ने कहा कि अगर उनकी मांगों पर जल्द गौर नहीं किया गया तो आंदोलन की रूपरेखा नए सिरे से तैयार की जाएगी। विस्थापितों ने प्रबंधन को 15 अप्रैल तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 16 अप्रैल के बाद आंदोलन बिहाली में होगा। इस को लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का दरवाजा खटखटाया जाएगा। विस्थापित संघ के प्रधान अनंत राम ने बताया कि परियोजना प्रबंधन उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। अपनी पुश्तैनी जमीन परियोजना के लिए न्यौछावर कर चुके विस्थापितों ने कहा कि सरकार ही बताएं कि वे अपने परिवार का पेट कैसे पाले। अनंत राम ने कहा कि वे नहीं जानते कि परियोजना का निर्माण कर रही कंपनी का सरकार के साथ एमओयू में क्या समझौता हुआ है। उन्हें बस यह मालूम है कि भू-अधिग्रहण से पहले उन्हें परियोजना में स्थायी रोजगार दिए जाने का आश्वासन दिया था। विस्थापित अनंत राम, दीवान चंद और रमेश कुमार ने कहा कि उन्हें अब तक आश्वासनों से छला गया है। हाल ही में विस्थापितों को परियोजना में बिजली उत्पादन के बाद सात सौ रुपए प्रतिदिन रायल्टी दिए जाने का नया पैंतरा फेंका गया है। मगर उन्हें इस पर भरोसा नही है। अगर ऐसा है तो सरकार और परियोजना प्रबंधन विस्थापितों के साथ लिखित समझौता करें। अनंत राम ने कहा कि अगर 15 अप्रैल तक कोई समाधान नहीं किया गया तो 16 अप्रैल को परियोजना से विस्थापित हुए सारे ग्रामीण दिल्ली कूच क रेंगें और मामले को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष उठाएंगे। जब इसी परियोजना के चरण दो से विस्थापित हुए लोगों को स्थायी रोजगार दिया जा सकता है तो उनके साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। एनएचपीसी के महाप्रबंधक एके त्रिखा ने कहा कि एमओयू में रोजगार का कोई प्रावधान नहीं है।

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