
नशे के लिए घर से पैसे नहीं मिले तो बच्चों ने मां-बाप को भी चिट्टा चखा दिया। किसी ने घुटने के दर्द की दवा बताई तो किसी ने अन्य बहाना बनाकर धोखे से परिजनों को इस चक्रव्यूह में फंसाया। एक-दो नहीं, बल्कि ऐसे करीब 20 परिवार हैं, जो इस लत के शिकार हो गए हैं। नशे की ऐसी लत लगी है कि मां-बाप खुद पैसा देकर चिट्टा मंगवा रहे हैं। पैसे कम पड़ गए तो रिश्तेदारों से उधार लिया। अब उधार नहीं मिल रहा तो गहने-बर्तन और पेड़ों को बेचकर नशे का इंतजाम किया जा रहा है।
यह सनसनीखेज मामला मंडी जिला मुख्यालय से करीब 43 किलोमीटर दूर बिलासपुर जिला की सीमा पर स्थित सुंदरनगर उपमंडल के सलापड़ क्षेत्र का है। यहां एक साल के भीतर तीन युवा जान गंवा चुके हैं। लेकिन नशा माफिया का खौफ इतना है कि कोई कुछ कहने को तैयार नहीं। पुलिस चौकी है पर नशेड़ी और नशे का धंधा करने वाले बेलगाम हैं। यहां खंडहर में बदले सरकारी आवासीय काॅलोनी नशेड़ियों का अड्डा बन गई है। बिलासपुर के बरमाणा और मंडी के सलापड़ को जोड़ने के लिए सतलुज नदी पर एक पुल भी बना हुआ है। ज्यादातर धंधा इसी पुल से चलता है। चेन बनाकर सलापड़ से होते हुए जंजैहली, सराज, शिमला के रोहडू, कोटखाई और ठियोग तक नशा पहुंचाया जा रहा है। निशाने पर सेब उत्पादक क्षेत्र के युवा और पैसे वाले परिवारों के बच्चे हैं। नशे का धंधा करने वाले बाकायदा चेन बनाकर नशे की मुफ्त डोज का ऑफर दे रहे हैं। दो नए ग्राहक बनाने पर डोज मुफ्त मिल जाती है।
जहरीली शराब से गई थी सात लोगों की जान