टीबी मरीजों में पाए जा रहे अमेरिका, अफ्रीका और चीन के भी स्ट्रेन,शोध में हुआ खुलासा

टीबी मरीजों में पाए जा रहे अमेरिका, अफ्रीका और चीन के भी स्ट्रेन,शोध में हुआ खुलासा

शिमला
हिमाचल प्रदेश के टीबी मरीजों में अमेरिका, अफ्रीका और चीन मूल के स्ट्रेन पाए जा रहे हैं। इस संबंध में आईजीएमसी शिमला, मेडिकल कॉलेज टांडा और आईसीएमआर मॉडल रुरल हेल्थ रिसर्च यूनिट ऊना ने संयुक्त रूप से एक शोध किया है। इसमें यह खुलासा हुआ है कि यहां पर प्रचलित इंडो ओशनिक के अलावा पांच अन्य स्ट्रेन भी पाए गए हैं। टीबी के सामुदायिक उपचार के लिए यह अध्ययन उपयोगी हो सकता है। प्रदेश में टीबी उन्मूलन की दिशा में पहली बार इस तरह का अध्ययन सामने आया है। यह अध्ययन कांगड़ा में 82 एमटीवी पॉजिटिव मरीजों पर किया गया है। रोगियों में 61 पुरुष और 21 महिलाएं थीं। 40 रोगी 15-40 वर्ष, 36 मरीज 45-64 वर्ष और 5 बीमार लोग 65 वर्ष से अधिक आयु के थे। अध्ययन के लिए क्लिनिकल आइसोलेट्स से डीएनए का उपयोग पीसीआर आधारित पद्धति का उपयोग करके किया गया। एक साथ माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस कांप्लेक्स का पता लगाने के लिए एक आउटसोर्स एजेंसी मैप माइजेनोम हैदराबाद की भी मदद ली गई।

अध्ययन में पाया गया कि मरीजों से लिए 51.2 प्रतिशत नमूनों में इंडो ओशनिक, 37.8 प्रतिशत में मध्य एशियाई, 4.8 प्रतिशत में पश्चिम अफ्रीकी और 3.6 प्रतिशत में पूर्वी एशियाई स्ट्रेन पाए गए। पूर्वी एशियाई स्ट्रेन चीन के बीजिंग मूल का है। इसी तरह यूरो अमेरिकन और एम. अफ्रीकनम स्ट्रेन 1.2 प्रतिशत मिले। इस शोध को आईजीएमसी शिमला की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. सुमन ठाकुर, मेडिसिन विभाग के सह आचार्य डॉ. विवेक चौहान, टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर एससी जरयाल और आईसीएमआर मॉडल रुरल हेल्थ रिसर्च यूनिट ऊना के सी. गोयल ने किया है। वहीं, डॉ. विवेक चौहान ने कहा कि टीबी पर इस तरह का अध्ययन पहली बार हुआ है। इससे सामुदायिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर उपचार रणनीति पर काम हो सकता है। इस तरह का अध्ययन शिमला समेत प्रदेश के अन्य क्षेत्रों को फोकस कर भी किया जा सकता है। टीबी उन्मूलन की दिशा में इससे कारगर काम हो सकता है।
टीबी उन्मूलन अभियान में सबकी सहभागिता जरूरी : राज्यपाल
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि प्रदेश को क्षय रोग मुक्त बनाने के अभियान में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी है। तभी वर्ष 2023 तक निर्धारित इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। राज्य में 141 कुष्ठ रोगियों का इलाज चल रहा है और ये मरीज आसानी से ठीक हो सकते हैं। हिमाचल देश का पहला आदर्श राज्य बनकर उभर सकता है, जो हम सभी के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। कॉरपोरेट, व्यक्तिगत, राजनेता, गैर सरकारी संगठन भूमिका निभा सकते हैं।

राज्यपाल बुधवार को राज्य स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र शिमला में प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों और खंड चिकित्सा अधिकारियों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 सितंबर, 2022 को क्षय मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ किया था। वर्ष 2025 तक देश को क्षय मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर क्षय मुक्त भारत अभियान सराहनीय तरीके से चल रहा है।राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक हेम राज बैरवा ने अभियान गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। निदेशक स्वास्थ्य डॉ. गोपाल बेरी ने अभियान का विवरण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा, राज्य स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र की प्रधानाचार्य डॉ. हरशरण कौर मौजूद रहे।

Related posts