
प्रदेश में लम्बे समय से वर्षा न होने के कारण जलस्तर निम्न स्तर पर चला गया है । अधिकतर जल स्त्रोत पूर्णतया सूख चुके है । सूखे की स्थिति के कारण जल शक्ति विभाग ने जलापूर्ति योजनाओं के पानी से निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। उल्लंघन करने वालों के पानी के कनेक्शन काटने के निर्देश जारी किए गए हैं। जलसंकट की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने राज्य व जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों की तैनाती की है, जो जिला प्रशासन से तालमेल कर पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करेंगे। आपात स्थिति को छोड़कर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टी पर रोक लगा दी गई है। पानी के नए कनेक्शनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
धर्मशाला और नूरपुर के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में 14 हैंडपंप ठीक किए गए हैं। जहां पेयजल आपूर्ति का कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं है, वहां टैंकरों से सप्लाई दी जा रही है। शिमला, कुल्लू और कांगड़ा जिलों में पानी के लिए टैंकर तैनात किए जा रहे हैं। इस साल मई के तीसरे सप्ताह से ही सूखे की स्थिति के कारण 3,933 बस्तियों को आपूर्ति करने वाली 1,315 योजनाएं और लगभग 4 लाख 56 हजार की आबादी प्रभावित हुई है।