चेक बाउंस मामले में सजा बरकरार होने पर भी खत्म किया जा सकता है अपराध

चेक बाउंस मामले में सजा बरकरार होने पर भी खत्म किया जा सकता है अपराध
 शिमला

हाईकोर्ट ने चेक बाउंस मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने स्पष्ट किया कि सजा बरकरार होने के बाद भी अपराध को खत्म किया जा सकता है। अदालत ने पक्षकारों में समझौता होने के बाद दोषी को सुनाई गई सजा का रद्द कर दिया।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने चेक बाउंस मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने स्पष्ट किया कि सजा बरकरार होने के बाद भी अपराध को खत्म किया जा सकता है। अदालत ने पक्षकारों में समझौता होने के बाद दोषी को सुनाई गई सजा का रद्द कर दिया।  चेक बाउंस के अपराध की सजा भुगत रहे दोषी को अदालत ने तुरंत प्रभाव से रिहा करने के आदेश दिए है। चेक बाउंस से जुड़े अधिनियम की धारा 147 की व्याख्या करते हुए अदालत ने कहा कि हालांकि फौजदारी मामलों में पुनर्विचार नहीं किया जा सकता है, लेकिन चेक के मामलों में पक्षकारों में समझौता होने पर सजा बरकरार होने के बाद भी अपराध को खत्म किए जाने का प्रावधान है। अदालत ने शीर्ष अदालत के निर्णयों का हवाला देते हुए यह व्यवस्था दी।

मामले के अनुसार जुब्बल निवासी नरेश कुमार ने त्रिलोक चंद को 80 हजार रुपये का चेक दिया था। चेक बाउंस होने पर निचली अदालत में शिकायत दर्ज की गई। निचली अदालत ने दोषी को छह महीने की सजा सुनाई थी। अपीलीय अदालत ने भी सजा को बरकरार रखते हुए अपील को खारिज कर दिया था। इसके बाद दोषी ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने भी दोषी को सुनाई सजा पर मुहर लगा दी थी। इसके बाद दोषी ने शिकायतकर्ता को चेक की राशि देकर समझौता कर दिया और हाईकोर्ट के समक्ष सजा को रद्द करने के लिए आवेदन किया था।

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