खराहल (कुल्लू)। सिंचाई योजनाओं की अनदेखी और रिपेयर के अभाव में किसानों को हर साल नुकसान उठाना पड़ रहा है। लोग योजनाओं की रिपेयर को लेकर कई बार नेताओं से आग्रह कर चुके हैं लेकिन आश्वासनों के सिवाय कुछ नहीं मिला।
लोगों ने राजनीतिक दलों से सवाल किया है कि कब तक फसलें सूखे की चपेट में आकर बर्बाद होती रहेंगी। कई किसानों के खेतों तक वक्त पर सिंचाई योग्य पानी उपलब्ध नहीं होता। ऐसे में किसानों के खेत खलियानों में लहरा रही फसलें सूखने लगती हैं। इस कारण किसानों को भारी आर्थिक का नुकसान उठाना पड़ता है। यह कहानी मात्र एक गांव की नहीं बल्कि कुल्लू के दर्जनों गांवों की है। जहां पर उठाऊ सिंचाई योजनाएं तो बनाई हैं लेकिन इन योजनाओं की मुख्य पाइपें जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं।
आईपीएच विभाग की 1989-90 में बनी नेऊली-थरमाण उठाऊ सिंचाई योजना, बारी-बिहाल से खराहल उठाऊ सिंचाई योजना और सेऊबाग के लिए उठाऊ सिंचाई योजनाएं दस वर्ष पूर्व बनाई गई थीं। वर्तमान में यह योजनाएं अनदेखी के चलते किसानों के लिए पूर्ण रूप से पानी मुहैया नहीं करवा पा रही हैं। माहिली गांव के लिए बनाई जा रही उठाई सिंचाई योजना का कार्य भी सात सालों से चल रहा है। कागजों में न्यूली – थरमाण उठाऊ योजना 98.4 हेक्टेयर भूमि सिंचित कर रही है। सेऊबाग उठाऊ सिंचाई योजना 73.50 हेक्टेयर भूमि को पानी मुहैया करवा रही है। लेकिन धरातल पर कुछ और ही नजर आ रहा है। क्षेत्रवासी रोशन ठाकुर, नवीन, वीर सिंह, गुरदयाल सिंह, निशू महंत, गीता ठाकुर, लक्ष्मी, पूर्ण चंद और सेस राम ने कहा कि चुनावी वक्त पर नेता वोट मांगने तो आते हैं, लेकिन घाटी की सिंचाई योजनाओं को दुरुस्त करने की जहमत नहीं उठाते।
बजट को लेकर भेजा है एस्टिमेट
आईपीएच के अधिशासी अभियंता उपेंद्र वैद्य ने कहा कि उठाऊ पेयजल योजनाओं को दुरुस्त करने के लिए बजट बारे सरकार को एस्टिमेट भेजा है। बजट का प्रावधान होते ही जल्द कार्य शुरू किया जाएगा।