नई टिहरी। आपदा से क्षतिग्रस्त योजनाएं मरम्मत के लिए बजट का मुंह ताक रही है। पिछले वर्ष अगस्त-सितंबर माह में लोनिवि, सिंचाई, जल निगम, जल संस्थान, शिक्षा और ऊर्जा निगम की जिले में 402 योजनाएं क्षतिग्रस्त हो गई थी। मरम्म्त के अभाव में 301 योजनाएं दम तोड़ रही है। सबसे बुरी स्थिति सिंचाई और पेयजल योजनाओं की बनी हुई है। जिससे सिंचाई और पीने के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है।
15 जून के बाद बारिश का सीजन शुरू हो जाता है। बावजूद अब तक पिछले वर्ष आपदा से क्षतिग्रस्त हुई सड़काें, पेयजल, सिंचाई और विद्युत योजनाओं की मरम्मत नहीं हो पाई। ऐसे में लोगों को सिंचाई और पेयजल जैसी रोजमर्रा की समस्या से जूझना पड़ रहा है। जुलाई माह में धान की रोपाई होनी है। मगर नहरों में पानी न होने से रोपाई कैसे होगी, यह सोचकर काश्कार परेशान है। जल निगम और जल संस्थान की 62 योजनाएं आपदा से क्षतिग्रस्त हो गई थी। जिसमें सिर्फ 39 योजनाओं के मरम्मत के लिए पैसे मिल हैं। विकासखंड हिंडोलाखाल के चाका पिछवाड़ा ग्राम पंचायत मलेथा बगवान पंपिंग योजना क्षतिग्रस्त होने से गांव में आपूर्ति पूरी तरह से बाधित है। चाक पिछवाड़ा के लोग पानी के लिए पूरी तरह से प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर है। चाका पिछवाडा के लोगों को पेयजल की सुविधा मुहैया कराने के लिए दो हैंडपंप पिछवाड़ा के लिए 2010 में स्वीकृत हुए थे। मगर हैंडपंप अब तक नहीं लग पाए।
क्षतिग्रस्त प्रमुख नहरें
सुमन क्यारी, बरेडा-खड, डोभन-सरोट, खांड-बिडकोट, छाम, डांग-गुसाईं व झकोगी।
इनका क्या है कहना
आपदा से क्षतिग्रस्त 402 योजनाओं के मरम्मत के लिए शासन को 2345.33 लाख का इस्टीमेट भेजा गया था। जिसके सापेक्ष सिर्फ 299.99 लाख ही स्वीकृत हुए है। शासन को दोबारा रिमाइंडर भेजा जा रहा है। यह सही है कि आपदा से क्षतिग्रस्त पेयजल लाइनों और सिंचाई नहरों की मरम्मत न होने से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। -प्रवेश चंद्र डडरियाल एडीएम नई टिहरी