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कपकोट। राजकीय महाविद्यालय में उद्यमिता प्रोत्साहन एवं रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत चौथे चरण की कार्यशाला में मशरूम उत्पादन के गुर सिखाए गए। प्रशिक्षकों ने कहा कि कपकोट क्षेत्र में मशरूम को रोजगार का जरिया बनाया जा सकता है।
महाविद्यालय में यह प्रशिक्षण जिला नवाचार निधि से वित्त पोषित कार्यक्रम के तहत संचालित किया जा रहा है। चौथे चरण की कार्यशाला में ज्योलीकोट से आए इंडो डच मशरूम प्रोजेक्ट के निरीक्षक आरसी जोशी ने मशरुम उत्पादन की वैज्ञानिक विधियों के बारे में बताया। कीट रोगों की जानकारी दी। निदान के गुर भी बताए। उन्होंने कहा कि कपकोट क्षेत्र में मशरूम के लिए अनुकूल भूगोल और जलवायु है। कांडा महाविद्यालय के प्राचार्य डा. डीसी कांडपाल ने कहा कि शिक्षा के साथ आचरण की शुद्धता भी आवश्यक है। चरित्र और नैतिकता से ही समाज की तरक्की हो सकती है। नैतिकता के अभाव के कारण ही भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। कपकोट महाविद्यालय के प्राचार्य डा. जीएस रावत ने कहा कि ग्रामीण उद्यमिता के लिए औषधीय पौधे भी लाभकारी हो सकते हैं। परियोजना निदेशक डा. पीके झा ने अतिथियों का आभार जताया। इस मौके पर प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र बांटे गए। समापन समारोह में पाठ्यक्रम समन्वयक डा. केके पंत, डा. नीता साह, डा. मुन्ना जोशी, ममता सुयाल आदि भी उपस्थित थे।