
चंडीगढ
लॉकडाउन के कारण एक दिन के नवजात शिशु की जान खतरे में पड़ गई जब उसे आपातकालीन स्थिति में और बेहतर इलाज के लिए पठानकोट सैन्य अस्पताल से चंडीमंदिर कमांड अस्पताल लाना संभव नहीं था।
इस स्थिति में पठानकोट सैन्य अस्पताल में ही सर्जिकल स्पेशलिस्ट मेजर आदिल अब्दुल कलाम की टीम ने नवजात का ऑपरेशन कर, न केवल उसकी जान बचाई बल्कि आर्मी मेडिकल कोर के इतिहास में नया अध्याय भी जोड़ा, क्योंकि मिलिट्री अस्पताल में आपातकालीन स्थिति में एक दिन के नवजात का अपने आप में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है।
सीजेरियन सेक्शन से जन्मे सैनिक के एक दिन के बच्चे की आंतों में एक दुर्लभ जन्मजात विसंगति होने का संदेह था। जिसके परिणामस्वरूप पेट में संदूषण के साथ आंतों में ब्लॉक और छिद्र विकसित हो गया।
इससे नवजात को सेप्टिक संक्रमण हो गया। इससे बच्चे की स्थिति लगातार बिगड़ रही थी। लॉकडाउन और कोरोना संक्र्तमण के खतरे की वजह से बेहतर इलाज के लिए कमांड अस्पताल चंडीमंदिर भी ले जाना संभव नहीं था। पठानकोट से चंडीमंदिर पहुंचने में कम से कम 6 घंटे का समय लगना था, लेकिन बच्चे की सर्जरी बहुत जल्दी और जरूरी करनी थी। लॉकडाउन के कारण पठानकोट के सिविल अस्पतालों में बाल रोग सर्जन उपलब्ध नहीं था।
पठानकोट मिलिट्री हॉस्पिटल के सर्जिकल स्पेशलिस्ट मेजर आदिल अब्दुल कलाम ने नवजात बच्चे के पेट को खोलने का जटिल और चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन किया, जोकि वेंटिलेटर पर था। अंतत: बड़ा जोखिम लेते हुए या ऑपरेशन किया गया। जोकि सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवाओं में पहली बार ऐसा हुआ।
ऑपरेशन के दौरान न तो बाल चिकित्सा सर्जन था और न ही बाल चिकित्सा एनेस्थेसियोलॉजिस्ट और नियोनेटोलॉजिस्ट मौजूद था।
ऑपरेशन आपातकालीन स्थिति में किया गया था, अगर कुछ मिनटों की देरी से भी बहु अंग विफलता का परिणाम हो सकता है, जिससे मृत्यु हो सकती है। डॉक्टर ने कहा कि सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं के अभाव में केस को मैनेज करना बेहद चुनौतीपूर्ण और तनावपूर्ण काम था।
सेप्टिक संक्र्तमण के साथ नवजात शिशु की आंतों में जटिल सर्जरी करना तकनीकी रूप से कठिन और भीषण था। लेकिन डॉक्टरों और नर्सों की टीम ने प्रभावी ढंग से सर्जरी की। अब बच्चा वेंटिलेटर से बाहर है और ब्रेस्ट फीड को सहन कर रहा है।