
नयनादेवी (बिलासपुर)। प्रसिद्ध शक्तिपीठ नयनादेवी में सुरक्षा और स्वास्थ्य के इंतजाम काबिले तारीफ है। सुविधाएं नहीं होने से एक तरह से हाथ खाली है। प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नयनादेवी में वर्ष 2008 में दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। आंख फिर भी नहीं खुली। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में न तो अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था है और न ही सीटी स्कैन की। आपरेशन थिएटर तो हैं, मगर सर्जन नहीं। ऐसे में वहां नवरात्र के लिए किए गए तमाम इंतजाम नाकाफी हैं। इमरजेंसी में तो मरीजों को रेफर करना चिकित्सकों की मजबूरी है।
वर्ष 2008 में हादसा होने के बाद इलाके में बड़ा अस्पताल खुलने की मांग उठी थी। धन भी मंजूर हुआ, अभी तक भवन नहीं बना। नवरात्र के लिए स्वास्थ्य विभाग ने दो एंबुलेंस, नौ चिकित्सकों समेत पूरी टीम इलाके में जगह-जगह तैनात कर दी है। मगर सुविधा ही नहीं है तो चिकित्सक भी क्या करें। सूत्र बताते है कि सीएचसी नयनादेवी में चिकित्सकों के चार पद है। इनमें से दो रिक्त चल रहे हैं। फार्मासिस्ट के दो पद भी नहीं भरे जा रहे। लैब टेक्नीशियन तो यहां लंबे अरसे से तैनात ही नहीं हुआ। यहां की एक्सरे मशीन तक कई दिनों से खराब चल रही है। नवरात्र पर यहां लोगों की भारी भीड़ रहती है। आम दिनों में भी श्रद्धालुओं की संख्या पांच से दस हजार तक रहती है। शनिवार और रविवार को तो आंकड़ा 30 से 50 हजार तक पहुंच जाता है। यहां बडे़ अस्पताल का होना जरूरी है।