आर्य कन्या डिग्री कालेज को बंद करने का फैसला

अल्मोड़ा। अल्मोड़ा में स्थित 39 साल पुराने आर्य कन्या सहायता प्राप्त महाविद्यालय को शासन ने बंद करने का फैसला कर लिया है। राज्यपाल की अनुमति के बाद प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा राधा रतूड़ी ने यह आदेश जारी किया है। इस सत्र से महाविद्यालय में प्रवेश नहीं दिए जाएंगे। शासन ने महाविद्यालय में कार्यरत पांच शिक्षिकाओं और सात शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को कुमाऊं विवि एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में समायोजित करने के साथ ही यहां अध्ययनरत छात्राओं को भी अल्मोड़ा परिसर में प्रवेश देने के आदेश दिए हैं। शासन का यह आदेश मंगलवार को अल्मोड़ा पहुंच चुका है।
दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र की गरीब बालिकाओं को आवासीय सुविधा के साथ नि:शुल्क उच्च शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से 1974 में आर्य अनाथालय संस्था के किशनानंद स्वामी ने अल्मोड़ा में आर्य कन्या महाविद्यालय की स्थापना की। यह भवन आज भी आर्य अनाथालय संस्था के नाम पर है। शुरू में दूरस्थ गांवों की गरीब बालिकाओं ने यहां रहकर अध्ययन किया। बाद के वर्षों में यह महाविद्यालय प्रबंधहीनता का शिकार हो गया। जिससे धीरे-धीरे छात्राओं की संख्या घटने लगी। न तो नए विषय खुले और न ही यह महाविद्यालय बीए से आगे बढ़ पाया। मानकों के अभाव में इस महाविद्यालय का प्रांतीयकरण भी नहीं हो सका। तीन साल पहले यहां छात्राओं की संख्या मात्र 30 रह गई थी। हालांकि वर्तमान में 65 छात्राएं अध्ययनरत हैं लेकिन महाविद्यालय के पास अपना भवन और भूमि नहीं होने, लंबे समय से प्रबंध समिति गठित नहीं होने के अलावा अन्य मानक पूरे नहीं कर पाने के कारण कुमाऊं विवि ने तीन साल पहले इसकी संबद्धता समाप्त कर दी थी। छात्राओं की संख्या कम होने के बावजूद वेतन में ही प्रतिवर्ष करीब 80 लाख रुपये व्यय हो रहे थे।
2009 में कुमाऊं विवि कार्य परिषद ने इस महाविद्यालय के स्टाफ और छात्राओं को अल्मोड़ा परिसर में समायोजित करने का प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव को कुछ माह पूर्व हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिली और हाल ही में राज्यपाल द्वारा हरी झंडी मिल जाने के बाद चार जून 2013 को प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा राधा रतूड़ी ने महाविद्यालय में आगामी सत्र (2013) से किसी छात्रा को प्रवेश नहीं देने और यहां कार्यरत पांच शिक्षिकाओं और सात शिक्षणेत्तर स्टाफ को एसएसजे परिसर में समायोजित करने का आदेश जारी कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि यह सभी शिक्षिकाएं और अन्य कर्मचारी कुलपति के प्रशासनिक नियंत्रण में रहेंगे। ज्यों-ज्यों शिक्षिकाएं और कर्मचारी रिटायर होंगे उनके पद समाप्त होते जाएंगे।

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