आपके बागीचे में पैदा होगा फ्रांस का सेब

शिमला। आप भी अपने बागीचों में विदेशी किस्म का सेब पैदा कर सकेंगे। एक साल तक कड़ी निगरानी में रखने के बाद बागवानी विभाग ने फ्रांसीसी सेब के पौधे बागवानों को उपलब्ध करवाने शुरू कर दिए हैं। विदेशी किस्म के सेब के पौधे उद्यान विकास अधिकारी कार्यालयों में पहुंचा दिए गए हैं।
बाजार में विदेशी किस्म के क्वालिटी सेब की डिमांड हिमाचल जल्द पूरी कर सकेगा। बागवानी विभाग द्वारा फ्रांस से आयातित दस हजार सेब के पौधों में से आठ हजार पौधे सब्सिडी पर बागवानों को उपलब्ध करवाए गए हैं। बाकी दो हजार पौधे बागवानी विश्वविद्यालय व एमबीपीजीआर (नेशनल ब्यूरो आफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्स) को संरक्षण के लिए दिए जाएंगे। बागवान ग्राफ्टिंग कर बागीचों में पौधों की संख्या बढ़ा सकेंगे। फ्रांसीसी सेब के पौधों के रूप में बागवानों को कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बागीचे सूखने की समस्या का विकल्प मिलेगा। पौधे की उचित देखभाल करने पर कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी फ्रांसीसी सेब बढ़िया फसल देंगे। विदेशी सेब के पौधे चिलिंग आवर पूरे न होने पर भी फसल देंगे। सामान्य तौर पर सेब के पौधे को आठ सौ चिलिंग आवर की जरूरत होती है। बागवानी विभाग का दावा है कि फ्रांस से आयातित पौधे दो से तीन सौ चिलिंग आवर मिलने पर भी अच्छी फसल देंगे।

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दो सौ रुपये में मिलेगा एक पौधा
फ्रांस से आयातित सेब के पौधे पर बागवानी विभाग 75 फीसदी सब्सिडी देगा। बागवानों को फ्रांस से आयत किए गए ‘अन्ना व डार सेट गोल्डन’ किस्म के पौधे दो सौ रुपये प्रति पौधे की दर से उपलब्ध करवाए जाएंगे।
एक साल में फसल शुरू
‘अन्ना व डार सेट गोल्डन’ किस्म के सेब के पौधे एक साल के भीतर ही फसल देनी शुरू कर देंगे। बागवानी विभाग के अधिकारियों के अनुसार पौधों का आवंटन करने से पहले इन्हें संरक्षित किया गया है, जिसके चलते यह पौधे एक साल के भीतर फसल देने योग्य हो गए हैं।

‘जुब्बल, कोटखाई, रोहड़ूू व ठियोग सहित उन क्षेत्रों में फ्रांस से आयातित पौधे बेचने शुरू कर दिए गए हैं जहां बर्फबारी के बाद सड़कें बहाल हो गई हैं। नारकंडा और साथ लगते ब्लाकों में जल्द ही पौधों की बिक्री शुरू हो जाएगी।’
– आईडी गुप्ता
संयुक्त निदेशक, बागवानी विभाग

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