आईआईटी मंडी की एक और उपलब्धि आई सामने, जानिए क्या है खास ?

आईआईटी मंडी की एक और उपलब्धि आई सामने, जानिए क्या है खास ?

हिमाचल प्रदेश के आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने दो साल की मेहनत के बाद कृत्रिम त्वचा विकसित करने में कामयाबी हासिल की है। डिजिटल स्किन तापमान, दबाव और सतह समेत अन्य अनुभव करवाएगी।  डिजिटल स्किन स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर श्रीकांत और उनके साथ 12 लोगों की टीम ने बनाई है। किसी हादसे में हाथ गंवा चुके लोगों के लिए यह कारगर साबित होगी। हाथ की जगह रोबोट लगा सकते हैं।

ऐसे मिलेगी मदद
रोबोट दिमाग के अनुसार निर्णय नहीं ले सकता है। यह नहीं बता पाएगा कि आब्जेक्ट गर्म है या ठंडा। जबकि डिजिटल स्किन के माध्यम से यह सब संभव हो पाएगा। किसी भी चीज को छूकर यह पता लगा पाएगी कि तापमान कैसा है, प्रेशर कितना चाहिए। सतह खुरदरी है या मुलायम। दो साल से इस डिजिटल स्किन पर काम चल रहा है और मौजूदा समय में भी इस स्किन को और बेहतर बनाने का काम किया जा रहा है।
चार से पांच साल तक चल सकती स्किन
यह स्किन चार से पांच साल तक चल सकती है। तेज गर्मी और अधिक ठंड को लेकर स्किन को टेस्ट करने की जरूरत है। यह प्रक्रिया आगामी एक साल तक जारी रहेगी। इसमें डिजिटल स्किन के मैटीरियल में पीडीएमएस का इस्तेमाल किया है। यह रबर जैली जैसा होता है। इसके अंदर हाइड्रो जैल भरा है। सहायक प्रो. श्रीकांत ने बताया कि डिजिटल स्किन को लेकर सभी तरह का कार्य आईआईटी मंडी में ही हुआ है। आम त्वचा की तरह यह त्वचा भी सब चीजें अनुभव कर सकती हैं। डिजिटल स्किन को लेकर, कई तरह से परीक्षण कार्य जारी हैं।

हेल्पिंग रोबोट करेगा नर्स की मदद
आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने हेल्पिंग रोबोट भी विकसित किया है। यह अस्पतालों में नर्स के लिए मददगार साबित होगा। रोबोट को नर्स विभिन्न माध्यम से आदेश दे सकती है। इसमें अलेक्सा की तरह वायर कमांड के अलावा बटन कमांड और अन्य सामिल हैं। इसमें निधर्धारित बॉक्स से दवाइयां बोलना, साफ-सफाई, इंजेक्शन रखना समेत अन्य कार्य शामिल हैं।

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